
कल होगा खरना, 10 को डूबते हुए सूर्य तथा 11 को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी व्रती महिलाएं
बाजारों में दिख रही छठ महापर्व पर पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री व फल
गोरखपुर (ममता पांडेय) हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व रहता है। इसका अलग ही उत्साह लोगों में देखने को मिलता है विभिन्न प्रकार के फलों की खरीददारी कर लोग छठ महापर्व पर घाट पर छठ माता की पूजा अर्चना करते हैं। जिसका शुभारंभ नहाए खाए के साथ आज सोमवार 8 नवंबर से शुरू हो रहा है। कल खरना के साथ 10 को डूबते हुए सूर्य तथा 11 होते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ साथ छठ व्रत का होगा समापन। बाजारों में धड़ल्ले से छठ पूजा की सामग्री तथा फल फूल इत्यादि दिखाई दे रहे हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार छठ प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की छठी तिथि पर मनाया जाता है यह हमेशा दीपावली के 6 दिन बाद पड़ता है। नहाए खाए से छठ पूजा की परंपरा प्रारंभ होती है। जिसके बाद छठी मैया की आराधना और उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत का समापन किया जाता है।
जिस के क्रम में छठ पूजा का पहला दिन आज सोमवार 8 नवंबर को नहाए खाए से शुरू होगा। 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत नहाए खाए से होती है। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं। वृत्ति के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ महापर्व के दूसरे दिन करना होता है जिसमें महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाएं निर्जल उपवास रखकर नए वस्त्र धारण कर छठ घाट पर पहुंचकर छठ माता के मंगल गीतों के साथ डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। रात भर भजन कीर्तन घर आकर करने के बाद निर्जल व्रत रहते हुए अगले दिन दोबारा उसी छठ घाट पर सुबह पहुंच कर विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद छठ पूजा की विभिन्न सामग्रियों फल मूल गन्ना इत्यादि छठ माता को ग्रहण करने के बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन करती है तथा पारण करती हैं।
