
11 से बन गए 50 वार्ड : कर्मचारी उतने ही !
पार्क बन रहे घने जंगल
लाइब्रेरी में पुरानी मैगजीन्स के अलावा पीने के पानी तक कि नहीं है व्यवस्था

मोगा (हैप्पी ढंड) घबराइऐं नही, ये जो आप डरावना दृश्य देख रहे हैं, ये किसी घने कोर एरिया जंगल का नही, बल्कि खस्ता रख रखाव के चलते अस्त व्यस्त हो चुके हमारे मोगा शहर के चिल्ड्रन पार्क व स्वामी वेदांता नंद पार्क का दृश्य है।
उक्त खबर का महत्व पूर्ण वीडियो खबर के अंत में नीचे दिया गया है।
बड़ी हुई घांस व जगह जगह फैले गंदगी से जहां बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है, वहीं घांस में छिपे जानवरों से भी लोग डरने लगे हैं।

अब यह देखिए किस तरह बीच रास्ते गटर का ढक्कन ही टूटा पडा है। जहां कभी भी कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।

हालत यह हैं कि पार्क में बनी लाइब्रेरी मे भी डर के मारे लोगों का आना जाना कम हो गया। भले ही निगम के कमिश्नर साहिब पार्क की कायाकल्प बदलने का जज्बा रखतें हैं, जिसके लिए वे विशेष तौर पर पार्क का दौरा करने भी आए।

लेकिन बागबानी विभाग की जे ई, मैडम हरसिमरत कौर ने बताया कि विभाग के पास मात्र 4 माली हैं, जो पूरे शहर के पार्कों को देखते हैं। मोगा शहर में 40 के लगभग छोटे बड़े पार्क हैं, जिनके लिए पक्के माली मात्र 4 रखे हुए हैं।

इसी कारण से पार्को की ये हालत हो जाती है। गौरतलब हो उक्त चार माली भी तब के रखे हुए हैं जब मोगा में केवल 11 वार्ड हुआ करते थे। लेकिन अब 50 वार्डों में वही चार मालियों से से काम चलाया जा रहा है।
जनचर्चा :
जनचर्चा यह भी है कि यदि खोज की जाए तो उक्त चार माली भी कहीं दिखाई नही पड़ते। शहर में बातें तों यहां तक बन रही हैं कि बेचारे चार मालियों को आलाधिकारियों के घरों के बगीचों से फुर्सत मिलेगी तो ही पार्कों का काम देख पाएंगे।
इसके इलावा जब ए जागरण की टीम लाइब्रेरी का हाल देखने के लिए लाइब्रेरी में गई तो, वहां वर्षों से रेगु लर आ रहे लोगों ने जानकारी देते हुए बताया कि, लाइब्रेरी में पुरानी मैगजीन्स हैं, जिन्हें कोई नही पड़ना चाहेगा।

एक सीनियर सिटीजन ने बताया कि यहां ना तो पीने के पानी तक की व्यवस्था है। जनता ने मांग की है कि पार्क व लाइब्रेरी में कम से कम पीने के पानी की व्यवस्था पुख्ता होनी चाहिए।
उक्त खबर का महत्वपूर्ण वीडियो
