एजागरण न्यूज नेटवर्क/सोलन/डलहौज़ी (इंदरजीत सिंह भुल्लर) मुगल शासक जहांगीर ने अपनी जीवनी ‘तुज़के जहांगीरी’ में स्वयं लिखा है कि गुरु अर्जुन देव जी की बढ़ रही लोकप्रियता से आहत था, इसलिए उसने गुरु जी को मारने का फैसला कर लिया। लेकिन इससे पहले उसने पंचम पातशाह गुरु अर्जुन देव जी को इस्लाम कबूल करने के लिए कहा एवं इस उपरांत उन्हें सभी सुख सुविधाएं देने की बात की पर अपने धर्म के पक्के गुरु अर्जुन देव जी ने मुगल शासक की बात को सिरे से नकार दिया। उपरोक्त शब्द देवभूमि क्षत्रिय संगठन व देवभूमि जनहित पार्टी के अध्यक्ष रुमित ठाकुर ने गुरु अर्जुन देव जी की महान शहादत को समर्पित एक वीडियो बयान जारी करके कहे। रुमित ने कहा धर्मांतरण व जातिवाद की आग में जल रहे हिमाचल को अगर बचाना है तो जहां आज आम जनमानस को गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी दिवस पर उनकी जीवनी से प्रेरणा लेते हुए अपने धर्म को मजबूत करने की बात करनी होगी, वहीं नेताओं को भी जातिवाद की राजनीति से परहेज करते हुए समाज मे समानता लाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे।उन्होंने कहा कि गुरुजी का जीवन मानवता को समर्पित था, जो सभी जातियों को समानता का अधिकार देने की बात करते थे।
आज उनके द्वारा श्री गुरु ग्रंथ साहब में दर्ज की गई वाणीओं से करोड़ों लोग लाभ प्राप्त कर रहे हैं। वीडियो में रुमित ने कहा कि गुरु अर्जुन देव जी को लाहौर में भीषण गर्मी के दौरान इस्लामी कानून ‘यासा व सियास्त’ जिस मैं किसी व्यक्ति का रक्त धरती पर गिराए बिना उसे यातनाएं देकर शहीद कर दिया । उन्होंने ने कहा कि गुरू जी ने संगत को एक और बड़ा संदेश दिया था कि परमेश्वर की रजा में राजी रहना। जब आपको जहांगीर के आदेश पर आग के समान तप रही तवी पर बिठा दिया, उस समय भी आप परमेश्वर का शुक्राना कर रहे थे:
‘तेरा कीया मीठा लागै॥

हिमाचल प्रदेश प्रबंधक व स्पैशल रिपोर्टर